तेरी यादों के पत्तों की धूल ...
अब तक आँखों से झाडी नहीं हमने ...पर आँखों को बंद कर जब इस धूल की किरकिरी एहसास होता है तो
इस एहसास के साथ की यादें और हाथ अब हम कभी नहीं छोड़ेंगे क्योंकि ....
क्योंकि यही वो खज़ाना है जिस पर मेरी रूह का आधार आज भी बेक़रार बहता है
निवेदिता 'धरा'
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